जवाहर नवोदय विद्यालय में “शिक्षा में कला” कार्यशाला का समापन 

Himachal Pradesh

नाहन 1 अक्टूबर —शिक्षा में कला कार्यशाला का समापन जवाहर नवोदय विद्यालय, नाहन में विद्यालय के प्राचार्य एस के तिवारी की अध्यक्षता में एक सांस्कृतिक संध्या के  रूप में  किया गया। उन्होंने इस अवसर पर छात्रों को संबोधित  करते हुए कहा कि एक माह से ज्यादा  चली  ” शिक्षा में कला ” कार्यशाला में छात्रों को लोक संस्कृति के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के साथ लोक संस्कृति की विभिन्न जानकारियों से बच्चों का ज्ञान वर्धन किया गया। उन्होंने कहा कि हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत बहुत ही समृद्ध है इस को संजोए रखना हम सबका नैतिक कर्तव्य है उन्होंने कहा कि कार्यशाला के मुख्य समन्वय कुलदीप गुलेरिया व उनकी टीम द्वारा  विद्यालय के छात्रों को हिमाचल के लोक नृत्य का प्रशिक्षण दिया गया जिसके फलस्वरुप सिरमौरी नाटी, कांगड़ा का झमाकड़ा इत्यादि  का प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहा । इसके बाद यह छात्र अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए नवंबर माह में कठुआ (जम्मू )में आयोजित होने वाली क्षेत्रीय प्रतियोगिता में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि नवोदय विद्यालय समिति का उद्देश्य  ही है  छात्रों के अंदर छुपी प्रतिभा को विकसित करना । इस अवसर पर कार्यशाला में भाग लेने वाले लगभग 65 छात्रों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।

  कार्यशाला के मुख्य समन्वय एवं प्रदेश के प्रख्यात संस्कृत कर्मी कुलदीप गुलेरिया ने कहा कि संगीत से आदमी का सदियों से नाता रहा है संगीत आत्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है और नृत्य तो हमारी रगों में दौड़ता है  नृत्य तो खुशी व्यक्त करने का सबसे बड़ा माध्यम है यानी यूं कहे तो नृत्य के बिना कोई भी समारोह संभव नहीं है । उन्होंने कहा कि एक महीने से ज्यादा चली “शिक्षा में कला” कार्यशाला में छात्रों को मुख्यतः सिरमौरी नाटी के अतिरिक्त मंडी जनपद का प्रधान लोक नृत्य लुडडी, कांगड़ा का झमाकड़ा और सोलन का पड़ुंवा नृत्य इत्यादि का प्रशिक्षण देने के साथ साथ लोक संस्कृति के विभिन्न पहलुओं की जानकारी भी दी गई ।उन्होंने छात्रों को जागरूक करते हुए कहा कि आज के बदलते परिवेश और पाश्चात्य संस्कृति के प्रति युवाओं का आकर्षण, ग्लैमर के साथ मोबाइल व टीवी संस्कृति ने लोक संस्कृति को लुप्त होने की कगार पर पहुंचा दिया है ऐसे समय में लोक संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन अति आवश्यक है उन्होंने कहा कि कला क्षेत्र आज एक उद्योग बन चुका है इसमें कैरियर की अपार संभावनाएं हैं ,इज्जत है शोहरत है पैसा है सम्मान है । विद्यालय के म्यूजिक टीचर डॉ इंद्रजीत सिंह ने विद्यालय के अध्यापकों, स्टाफ व छात्रों का 21 अगस्त से 30 सितंबर तक सफलता पूर्वक चली कार्यशाला  में सहयोग  देने के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा के साथ कला व खेल गतिविधियां भी अति आवश्यक है जिससे बच्चे स्वस्थ रहने के साथ परिश्रमी, दृढ़ एवं आत्म विश्वासी बनकर नित नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।

समापन समारोह  में  630 के लगभग छात्र और अध्यापक उपस्थित रहे।