अपने गृह जिला में सीएम ने बंद की मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा…

Himachal Pradesh

प्रदेश भर के पशुपालकों की सुविधा और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गंभीर हुई सरकार ने मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा शूरू की है। इसके तहत करीब 44 वैटरिनरी बैन एंबुलेंस की नई शुरुआत पिछले दिनों की गई है। मुख्यमंत्री ने स्वयं पांच मार्च को शिमला से इस वैन को हरी झंडी दिखाई थी। प्रदेश के विभिन्न जिलों में ये वैटरिनरी एंबुलेंस चल रही हैं, जिसका पशुपालकों को उनके घरद्वार पर लाभ भी मिल रहा है। लेकिन हैरानी की बात है कि 14 मार्च को मुख्यमंत्री के अपने ही गृह जिले में इन गाडिय़ों को जिले के चार उपमंडलों भोरंज, बड़सर, सुजानपुर और नादौन में चलाने के कुछ ही घंटों बाद अचानक रोक दिया गया। पशुपालन विभाग की ओर से जो कंपनी हायर की गई है, उस कंपनी ने बकायदा तीन-तीन कर्मियों का स्टाफ भी तैनात कर दिया था, लेकिन अब यह एंबुलेंस नहीं चलाई जा रहीं। अब जिन बेरोजगारों को इस एंबुलेंस के माध्यम से रोजगार मिला है, वे पिछले कई दिनों से कशमकश में हैं कि आखिर ये एंबुलेंस दोबारा कब चलेंगी और यदि चलेंगी भी, तो क्या उनको ही रोजगार पर रखा जाएगा या उन्हें भी हटा दिया जाएगा।

हालांकि बताया यह जा रहा है कि पहली अप्रैल से हमीरपुर जिला में दोबारा इन वैटरिनरी एंबुलेंस को चलाने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब हो कि सुक्खू सरकार ने पशुपालकों को घरद्वार पर सहूलियत देने के लिए यह सेवा शुरू की है। इसमें किसी भी पशु के बीमार होने पर उन्हें 1962 टोल फ्री नंबर डायल करना होता है और पशुओं की सभी तरह की स्वास्थ्य सुविधा से लैस यह बैन आपके घर पहुंच जाती है। इसमें चालक के अलावा एक पशु चिकित्सक और एक फार्मासिस्ट मौजूद रहते हैं। 14 मार्च को हमीरपुर जिला के ताल से इन चार गाडिय़ों को अलग-अलग उपमंडलों के लिए रवाना किया गया था लेकिन कुछ ही देर बाद उनको रोकने के फरमान भी आ गए। कंपनी के जरिए रोजगार पर लगे युवाओं की मानें, तो आज तक उनसे यही कहा जाता रहा कि कुछ कागजी प्रक्रिया अधूरी रह गई थी, जिसके कारण इन्हें रोका गया, लेकिन अब 15 दिन हो गए हैं।