सिरमौर न्यूज़
“अपने प्रयासों को रुकने न दें ,स्वयं को बार बार प्रेरित करते रहे सफलता एक दिन अवश्य मिलती है” – यह सन्देश Assistant Professor ओम प्रकाश शर्मा का है जो हाल ही में अंग्रेजी विषय के Assistant Professor बने है।
वर्ष 1983 में ओम प्रकाश शर्मा का जन्म भलौना गांव में माता रूपो देवी पिता गंगा राम के घर में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला भलौना में हुई जबकि कक्षा 9 से 12 तक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संगड़ाह में शिक्षा प्राप्त की। नाहन महाविद्यालय से बी.ए. और वर्ष 2006 में धर्मशाल से बी.एड. तथा वर्ष 2008 में डाइट नाहन से जेबीटी की। वर्ष 2018 में IGNOU से एम.ए. , 2019 में NET और 2020 में SET क्लियर किया। ओम प्रकाश शर्मा को बचपन में शांत और एकांत में पढाई के साथ साथ घर के कार्य करना पसंद था। ग्रामीण क्षेत्र से तालुख रखने वाले ओम प्रकाश का बचपन पढाई के साथ पालतू पशुओं की चुगाई करते हुए बीता।
स्कूल की पढ़ाई से Assistant Professor का सफर कठनाई भरा
7वी कक्षा में अंग्रेजी विषय की तरफ ज्यादा आकर्षित हुए और हीरा पाल शर्मा के सयोजन से अंग्रेजी में रूचि लेने लगे। छोटे से गांव से तालुख रखते थे , घर में आय के साधन सीमित थे इसलिए पेसो का आभाव रहता था आगे की पढ़ाई कैसे पूरी की जाए इसकी चिंता सताने लगी।
लेकिन इसी बीच 10वी कक्षा में छात्रवृति मिली जिससे 11वी और 12वी कक्षा की पढ़ाई कर पाने की उम्मीद जगी। और अपनी पढ़ाई जारी रख पाए , पढ़ाई के दौरान खुद के किये खर्चा कैसे निकाने इसलिए पेंटिंग सीख ली ताकि खुद की पढाई और रहने आदि का खर्चा निकाल सके। पढ़ाई के दौरान पेंटिंग कमाई का जरिया बनी और कमाई के साथ साथ कला में भी निखार आता गया। सहयोग के लिए शर्मा संगड़ाह की जनता का आभार व्यक्त करते रहते है जिन्होंने उनकी कला की कदर की और उन्हें काम मिलता रहा।
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कला ने ओम प्रकाश शर्मा की तंगी नहीं आने दी और आखिरकार सफलता मिलने पर वर्ष 2009 में राजकीय प्राथमिक पाठशाला बियोंग से अध्यापन का कार्य शुरू किया और वर्तमान में अंग्रेजी विषय के Assistant Professor बन गए। कर्मठ व्यक्तित्व वाले ओम प्रकाश शर्मा अपनी सफलता का श्रय अपने कुल देव अपनी कुल देवी सहित माता -पिता, गुरुजनो, शुभचिंतको अपनी धर्मपत्नी तारा शर्मा और बच्चो को देते है जो उन्हें बार बार प्रेरित करते रहे।
ओम प्रकाश शर्मा ने बताया की पढाई के साथ पेंटिंग और नौकरी के साथ कला में निखार आता रहा वे 50 से अधिक विद्यालयों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके है। अध्यापन के साथ साथ कला ,ड्रामा नृत्य के अलावा chess , बैडमिंटन में भी उनकी रूचि है। बी.एड. और जेबीटी के दौरान उन्हें बेस्ट एक्टर का ख़िताब भी मिला है। वर्ष 2018 से शिक्षा खंड नोहराधार के राजकीय प्राथमिक पाठशाला डमाह कनोग में कार्यरत रहे।
अध्यापन के दौरान भी कई उपलब्धियां हासिल
अध्यापन के दौरान भी उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल की है। वर्ष 2016 से प्राथमिक पाठशालाओं में वार्षिक समारोह का प्रयास में पीजीआई चंडीगढ से मुख्य अतिथि का बुलाना हो या फिर लॉक डाउन के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में बच्चो को डीटीएच लगाकर ऑनलाइन शिक्षा देना हो जिसमे उन्होंने एलईडी टीवी को कंप्यूटर के साथ जोड़कर बच्चो को पढ़ाया।
विद्यालय में टैगोर पुस्तकालय, चैस क्लब बनाकर बच्चो को स्वयं पढ़ने की आदत डालना , शगुन कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के लिए फंड एकत्र करना और वर्ष 2022 में 15 बच्चो का सेलेक्शन जिला व् राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए होना उनकी उपलब्धि रही है।
अध्यापन के दौरान उनके कई बार रिसोर्स पर्सन के रूप में कार्य करने के भी अवसर मिला है। उनकी इच्छा है अपने अनुभवों को वे पुस्तक के रूप में संजोये।
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