06.01.2019

ज्योतिष विज्ञानं

🌹जो स्वार्थ वश अपने बारे में ही सोचता व जीता है. ऐसा इंसान भी मृतक तुल्य माना जाता है. इस तरह के जनों के मन व दिल में किसी के लिए कोई संवेदना या अच्छे भाव नहीं होते. समाज में वह सिर्फ और सिर्फ अपने लाभ या हित के लिए ही सोचते हैं.
बिला वजह से सब की निन्दा व बुराई करने वाले जन भी मृतक समान होते हैं. हमेशा नुक्ताचीनी करते रहना. सब के सही कामों के आलोचना करते रहने से ऐसे नीच व अधर्मी मृतक ही होते हैं.
🚩 पं. जगदीप बावा जी ‘दिव्येश’
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