महिला की जान को खतरा -एसपी सिरमौर से मांगी मदद

Himachal Pradesh Local News SIRMOUR (सिरमौर) पॉवटा साहिब

सिरमौर न्यूज़ – पांवटा साहिब

हिमाचल की बेटी को पंजाब के दबंग पति से जान का खतरा है, पहले हिमाचली महिला के कंधो पर सरकार की सब्सिडी निगल ली और अब जिस क्रशर की मालकिन महिला है उसी क्रशर पर पति कब्जा कर बैठ गया है ,अकेली महिला अपने अधिकार के लिए अधिकारीयों के ऑफिस के चक्कर काट रही है। अब तो महिला का अपने अधिकार के लिए लड़ना भी उसकी जान पर बन आया है। यह आरोप हम नहीं लगा रहे है बल्कि सीमा देवी पत्नी विशाल कपूर हाल निवासी पांवटा साहिब द्वारा लगाया गया है जिसने एक लिखित शिकायत एसपी सिरमौर को सौंपी है और अपने मर्डर की आशंका जताई है। दरसल बीते रोज़ सीमा देवी आवश्यक दस्तावेज लेने जिला मुख्यालय नाहन स्थित माइनिंग ऑफिस पहुंची थी जहाँ उसका पति भी ऑफिस के बाहर पहुँच गया , सीमा ने बताया की उसके पति ने कई बार अपनी गाडी आगे पीछे कर उसे नुकसान पहुँचाने का प्रयास किया लेकिन वो वहां से भाग कर एसपी कार्यालय पहुँच गयी और अपनी जान बचाई। महिला ने लिखित शिकायत एसपी सिरमौर से की है जिसके बाद एसपी द्वारा सम्बंधित थाना को कंप्लेंट मार्क कर आवश्यक कारवाई के आदेश दिए है। बताते चले की सीमा देवी ने कुछ समय पहले पांवटा साहिब के मानपुर देवड़ा में स्टोन क्रशर लगाया था लेकिन पति ने महिला को वहां से भी बाहर निकाल दिया ,पीड़ित महिला ने कुछ दिन पहले भी आप बीती सुनाई थी और बताया था की उसका पति केवल पेसो के लिए उसका इस्तेमाल करता रहा। पहले महिला का हिमाचली कृषक होने का फायदा उठाया गया उसके नाम की सब्सिडी डकार गया और अब स्टोन क्रशर की सारी परमिशन महिला को मिली है उसपर भी पति हक जमाय बैठा है ,मामला इतना गंभीर हो चला है की महिला को जानमाल का नुक्सान भी हो सकता है। सीमा ने बताया की उसके पति ने सम्बंधित विभागों के अधिकारीयों को खरीद लिया है इसलिए कोई भी सीमा की मदद नहीं कर रहा। महिला के नाम पर बैंक का कर्ज भी यदि समय रहते महिला क्रशर का काम नहीं संभल पायी तो उसके ऊपर देनदारियां बढ़ती रहेगी और महिला आर्थिक अपराधी भी बन सकती है। बताया यह भी जा रहा है की इस क्रशर में एक मंत्री का भी हस्तक्षेप था लेकिन अब नहीं है , मंत्री की धौंस में महिला का पति अधिकारीयों पर अपना दबाव बनाने में कामयाब रहा है और कोई भी अधिकारी महिला की शिकायत पर एक्शन नहीं ले पाया। एक कारण बताओ नोटिस को कोर्ट का स्टे बता कर महिला और अधिकारीयों पर दबाव बनाया गया और अधिकरी भी बेवकूफ बनकर महिला को लिखित में जबाव देते रह गए। मामला इतना पेचीदा हो चला है की सुलझाने में काफी समय लग सकता है लेकिन इस बीच महिला की जान की इफ़ाज़त कौन करेगा यह बड़ा सवाल है।