सिरमौर न्यूज़
प्लास्टिक व थर्मोकोल की बनी वस्तुओं के विकल्प के रूप में पत्तों से तैयार किए गए डोना पत्तल निर्मित करने की अनूठी पहल करने पर उपायुक्त सिरमौर ललित जैन को विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा एक सादे एवं आकर्षक समारोह में शॉल, टोपी और प्रशस्ति पत्र प्रदान करके सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर उपायुक्त द्वारा मालझन व साल के पेड़ के पत्तों से निर्मित डोना-पत्तलों को मुख्यमंत्री को भी भेंट किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि थर्मोकॉल का विकल्प तैयार करने वाला सिरमौर जिला प्रदेश में अग्रणी जिला बनकर उभरा है और उन्होने इस अनूठी पहल के लिए उपायुक्त सिरमौर को बधाई दी।
उल्लेखनीय है कि जुलाई, 2018 में प्रदेश सरकार द्वारा प्लास्टिक व थर्मोकोल की बनी वस्तुओं के इस्तेमाल पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया गया था। उपायुक्त सिरमौर ललित जैन द्वारा इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, उन्होने जिला के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों को पेड़ के पत्तों सेे डोना पत्तल निर्मित करने के लिए प्रेरित करने पर बल दिया गया और पायलट आधार पर तीन स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण देने के अतिरिक्त डोना – पत्तल निर्मित करने वाली मशीन भी उपलब्ध करवाई गई। आखिरकार जिला प्रशासन की मेहनत रंग लाई और पांवटा के सतौन तथा धारटीधार के थाना कसोगा में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा मालझन, साल और सागवान पेड़ के पत्तों से डोना पत्तल निर्मित करने आरंभ कर दिए गए। इसके उपरांत संगड़ाह के खाला-क्यार में भी स्वयं सहायता समूह द्वारा जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के सहयोग से डोना-पत्तल निर्मित करने आरंभ कर दिए गए ।
उपायुक्त सिरमौर ललित जैन ने बताया कि विभिन्न स्वंय सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए डोना-पत्तल की विपणन व्यवस्था करने के लिए सर्वप्रथम डोना-पत्तल का इस्तेमाल जिला में आयोजित किए जाने वाले जनमंच कार्यक्रम में किया गया और जनमंच में लोगों को धाम डोने -पत्तल पर परोसी गई। तदोपंरात डोने-पत्तल को प्रचलन जिला में विवाह इत्यादि विभिन्न कार्यक्रमों में होने लगा और जिला के लोगों द्वारा प्लास्टिक व थर्मोकोल की बनी वस्तुओ को तिलांजलि देकर पत्तों से तैयार डोना -पत्तल को प्राथमिकता दी जाने लगी।
उपायुक्त सिरमौर ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि सिरमौर ने मालझन, सॉल और सागवान के काफी वन विद्यमान है जिनके पतों से पत्तल और डोना बनाने के व्यवसाय से महिला मण्डलों को जोड़ा गया है। ताकि ग्रामीण परिवेश की महिलाऐं आर्थिक रूप से सशक्त बन सके और प्लास्टिक और थर्मोकॉल का विकल्प तैयार किया जा सके। उन्होने कहा कि इस कार्य में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा जिला के सभी महिला मण्डलों एवं स्वयं सहायता समूहों इस व्यवसाय के साथ जोड़ा जा रहा हैं और स्वयं सहायता समूहों को बैंकों के साथ जोड़कर उन्हें डोने -पत्तल बनाने की मशीनें भी प्रदान की जा रही है ।
उन्होने कहा कि डोना पत्तल के इस व्यवसाय के साथ जिला के अन्य स्वयं सहायता समूहों को भी जोड़ा जा रहा है, ताकि ग्रामीण परिवेश की महिलाऐं आर्थिक रूप से सक्षम भी बन सके और लोगों में प्लास्टिक व थर्मोकॉल के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव बारे जानकारी भी हासिल हो सके।