हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका में जारी किया नोटिस

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सिरमौर न्यूज़ / शिमला

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एलेग्जेंडर द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में नोटिस जारी किया है और हिमाचल सरकार से 6 हफ्तों के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

जनहित याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेश कुमार परमार और विजय जैन ने बताया की इस जनहित याचिका के द्वारा याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। जनहित याचिका द्वारा हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2019 को चुनौती दी गई है उन्होंने बताया इस अधिनियम द्वारा सरकार ने ना केवल जनमानस के मौलिक अधिकारों का हनन किया है अपितु समाज सेवा कर रहे लोगों को भी कटघरे में ला खड़ा किया है जिससे जन सेवा कर रहे संगठनों को हतोत्साहित किया जा रहा है। अंततः समाज का गरीब पिछड़ा वर्ग जो सामाजिक सेवा से लाभ उठा रहा था वह इस लाभ से वंचित रहा है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में अधिनियम के दुरुपयोग की संभावना भी जताई है और इसे सामाजिक सौहार्द के खिलाफ बताया है।
आपको बता दें की अधिवक्ता राजेश कुमार परमार अक्सर जनहित से जुड़े मामलो को उठाते है , इससे पहले भी उनके द्वारा जनहित में उठाये गए कई मामले चर्चा में रहे। अधिवक्ता राजेश कुमार परमार युवा अधिवक्ता है और अपनी क़ाबलियत के लिए जाने जाते है। वकालत को सिर्फ आय का साधन न बनाते हुए वो उन मजबूर और गरीब लोगो की सहायता के लिए भी आगे रहते है जिनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है और न्याय के लिए अदालत के चक्कर काटते रहते है। गत वर्ष भी उन्होंने एक ऐसे मामले में युवक की जमानत करवाई जिस मामले को लेकर भू-माफियाओं के एक बड़े गिरोह ने निर्दोष को गहरी जालसाजी का शिकार बनाया और जमानत रद्द करवाने के लिए डिफेन्स में 2 अधिवक्ता खड़े कर दिए थे।अधिवक्ता राजेश कुमार परमार ने उस मामले में भी बड़ी शालीनता और अपने कौशल का परिचय दिया था