सेंसर बोर्ड की भूमिका मात्र मिस्ट्री – शर्मिला टैगोर

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भावना ओबरॉय – सोलन

ख़ुशवंत सिंह लिट फ़ेस्ट में पहुँची
शर्मिला टैगोर ने कहा कि फिल्मों में हमेशा कश्मीर का तो जिक्र होता रहा, लेकिन कश्मीरियों का कभी नहीं हुआ। कश्मीर की जो वास्तिविक सुंदरता है उसको भी कभी दिखाया नहीं गया।

अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने एक दर्शक द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि सेंसर बोर्ड की भूमिका मात्र मिस्ट्री है। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड वास्तव में है ही नहीं। उसका नाम सेंट्रल बोर्ड आॅफ फिल्म सर्टिफिकेट है। 7 वर्षों तक सेंसर बोर्ड की सदस्य रहीं शर्मिला टैगोर ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ अहम निर्णय लिए थे। उन्होंने उस दौरान समलैंगिगता, विशेष क्षेत्र पर आधारित फिल्मों को अनुमति नहीं दी थी, ताकि वहां किसी भी प्रकार का लाॅ एंड आॅर्डर न टूटे। क्योंकि फिल्मों में बहुत पैसा खर्च होता है।
इन चर्चित फिल्मों का किया जिक्र…..
फिल्मीस्तान यानि भारतीय सिनेमा में 60 वर्षों के फिल्मी इतिहास पर चर्चा के दौरान उन्होंने अपनी कुछ चर्चित फिल्मों को याद किया। विशेषकर अराधना, मौसम, सुहाग, कश्मीर की कली, तेरे मेरे सपने, हाथी मेरे साथी में उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यही नहीं उन्होंने देवानंद, शांताराम, राजेश खन्ना और शमी कपूर जैसे अभिनेताओं के साथ काम के दौरान व्यतीत किए पलों को भी याद किया।