हिमाचल के हजारों कर्मचारियों की पुकार: हिमाचल में कब टूटेगा निजी कंपनियों का शिकंजा?

Himachal Pradesh Local News SIRMOUR (सिरमौर) शिलाई

सिरमौर न्यूज/ शिलाई (लेखक हेमराज राणा)

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में बीते कई दशकों से हजारों ऐसे कर्मचारी कार्यरत हैं, जो निजी कंपनियों के माध्यम से सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से कम्प्यूटर शिक्षक, व्यवसायिक शिक्षक और विभिन्न विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं। यह कर्मचारी वर्ग लंबे समय से स्थायी नीति की मांग के साथ-साथ निजी कंपनियों के चंगुल से मुक्ति की भी गुहार लगाता रहा है। हालांकि समय-समय पर सरकारों द्वारा वेतन वृद्धि जैसी कुछ राहतें दी गई हैं, परंतु अब तक इन कर्मचारियों को स्थायी समाधान नहीं मिला है। परिणामस्वरूप ये कर्मचारी मानसिक और आर्थिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से कम्प्यूटर और व्यवसायिक शिक्षक वर्षों से शिमला सहित प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, ताकि सरकार उनके वेतन का भुगतान सीधे करे, न कि निजी कंपनियों के माध्यम से। शिक्षकों का कहना है कि निजी कंपनियाँ उनके वेतन से अपना हिस्सा काट लेती हैं, जिससे उन्हें पूरा वेतन नहीं मिल पाता। उनका यह भी तर्क है कि यदि सरकार सीधे वेतन दे तो सरकार को भी वित्तीय लाभ हो सकता है, क्योंकि मध्यस्थ कंपनियों का कमीशन समाप्त हो जाएगा।

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आउटसोर्सिंग व्यवस्था में भी यही समस्या उभरकर सामने आती है। विभिन्न विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी भी निजी कंपनियों से वेतन पाने के चलते असुरक्षित भविष्य का सामना कर रहे हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि वेतन समय पर नहीं मिलता, जिससे उनके बीच असंतोष और आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए यह प्रदेश सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह इन कर्मचारियों के लिए स्थायी और पारदर्शी नीति बनाए, ताकि भविष्य में ऐसे शिक्षित युवाओं का शोषण न हो। साथ ही, बिना नीति आधारित आउटसोर्सिंग पर भी रोक लगाने की आवश्यकता है।

प्रदेश की आर्थिक स्थिति चाहे जैसी भी हो, शिक्षित युवाओं के भविष्य से समझौता किसी भी दृष्टिकोण से न्यायसंगत नहीं है। पूर्व में पीटीए और पेरा टीचर्स जैसे उदाहरणों से स्पष्ट है कि समय रहते उचित कदम न उठाने पर यह समस्या और गहराती है। अब वक्त आ गया है कि प्रदेश सरकार इन कर्मचारियों की आवाज को गंभीरता से सुने और निजी कंपनियों के माध्यम से हो रहे रोजगार के इस अस्थिर मॉडल पर पुनः विचार करे।