विजय आज़ाद / संगड़ाह
जिला सिरमौर का गिरिपार क्षेत्र यहां मनाये जाने वाले विभिन्न त्यौहारों के लिए प्रदेश ही नहीं बल्कि पडोसी राज्यों में भी प्रसिद्ध है। गिरिपार क्षेत्र में वैसे तो कई त्यौहार मनाये जाते है लेकिन माघी त्यौहार को समस्त इलाके में विशेष रूप से मनाया जाता है। गिरिपार क्षेत्र में मनाया जाने वाला माघी त्यौहार न केवल शाही अंदाज में मनाया जाता है बल्कि यह साल भर में मनाये जाने वाले अन्य त्यौहारों में सबसे खर्चीले तयोहार के रूप में भी जाना जाता है। चार दिनों तक मनाये जाने वाले माघी त्यौहार का सोमवार परंपरा के मुताबिक संपन्न हो गया। गिरिपार व जिला के कुछ अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में मकर सक्रांति को “माघो रा साजा” के नाम से मनाया जाता है। इस दिन ग्रामीणों द्वारा अपने कुल देवता को अनाज , धन व घी चढ़ाकर पारंपरिक पूजा की जाती है। साजा अथवा संक्रांति पर गिरिपार में शाकाहारी पारंपरिक पारंपरिक व्यंजन पकाए जाते है।
शाही अंदाज में मनाया जाने वाला माघी त्यौहार है बेहद खर्चीला
करीब ढ़ाई लाख की आबादी वाले ग्रेटर सिरमौर अथवा गिरिपार में विभिन्न स्वंयसेवी संगठनों के मुताबिक पिछले तीन दिनों में माघी त्यौहार के दौरान 40,000 के करीब बकरे कटे, जिन पर 60 करोड़ के करीब खर्चा आने का अनुमान है। बकरों पर बड़ा बजट खर्च होने के चलते ही इस त्यौहार को शाही अथवा खर्चीला कहा जाता है। प्राचीन काल से ही इस पर्व के दौरान मॉस का सेवन करने वाले लोगो के हर घर में कम से कम एक बकरा जरूर काटा जाता है जबकि अन्य लोग अपनी आर्थिक सम्पन्नता के मध्यनज़र एक से ज्यादा बकरे काटते है। इसके अतिरिक्त शाकाहारी परिवार के लोग पारम्परिक व्यंजनों का लुत्फ़ उठाते है जिसके लिए भी अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। पारम्परिक तरीके से मनाया जाने वाला माघी त्यौहार अपने आप में बेहद खर्चीला त्यौहार जिसे आज भी लोग उसी अंदाज में मना रहे है जैसा सदियों से मनाते चले आ रहे है।
प्रशासन की तरफ से नहीं किये जाते विशेष इंतज़ाम
माघी त्यौहार के दौरान यहां बसों में भारी ओवरलोडिंग देखी जाना आम बात हो गई है , बसों की कमी के कारण सैंकड़ों श्रद्धालुओं को ट्रकों अथवा अन्य भारवाहक वाहनों में यात्रा कर मंदिरों में पहुंचना पड़ा। प्रशासन द्वारा इस बार भी करीब ढ़ाई लाख की आबादी वाले इस इलाके में माघी त्यौहार के लिए अतिरिक्त बसों की व्यवस्था नहीं की जा सकी। जबकि हाल ही में कई सड़क हादसे भी पेश आ चुके है ,जिला प्रशासन ने इस बार भी सबक नहीं लिया और लोगों को जान जोखिम में डाल कर सफर करना पड़ा।
आज भी परोसे जाते है पारंपरिक व्यंजन
गिरिपार के अंतर्गत आने वाले विकास खंड संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ की 130 के करीब पंचायतों में शाही अंदाज में मनाया जाने वाला माघी त्योहार सोमवार को संपन्न हो गया। पूरे माघ महीने में क्षेत्र में मेहमाननवाजी तथा दावतों का दौर चलता है। जिला सिरमौर के उपमण्डल संगडाह क्षेत्रों में पारम्परिक व्यंजन आज भी आज भी परोसे जाते है। वर्ष भर में जो भी त्यौहार आता है उसमे पहाडी़ व्यंजन का बनाने व् परोसने का अपना अलग अन्दाज़ है। पटांडे , पोली ,शिचावले असकली ,घरोटी , घिण्डा आदि पकवान यहाँ आज भी त्यौहार के दौरान तैयार कर परोसे जाते है जो इस क्षेत्र की अलग पहचान को दर्शाते है।
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