सिरमौर न्यूज/सोलन
प्राचीन शिव मंदिर धर्मपुर चौक में स्थित विश्व हिंदू परिषद संगठन की मातृ शक्ति द्वारा सत्संग, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक महाआरती का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ आचार पद्धति से जिला सह संयोजिका प्रिया कायथ द्वारा किया गया तथा माजरा प्रखंड संयोजिका सविता नौटियाल, अलकनंदा प्रखंड संयोजिका वंदना रावत एवं श्रद्धा नेगी द्वारा मंसाचीन अतिथियों का स्वागत किया गया। विभाग संयोजिका मातृशक्ति प्रीति शुक्ला ने संगठन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा की विश्व हिन्दू परिषद की मूल प्रकृति सेवा है। सन् 1964 में इसकी स्थापना के पश्चात् शनैः शनैः अपने समाज के प्रति स्वाभाविक प्रेम तथा आत्मीयता के आधार पर विविध प्रकार के सेवा कार्यों का क्रमिक विकास हो रहा है। मातृशक्ति ने हर युग में स्वावलंबन स्वाभिमान तथा राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए सदैव अग्रणी एवं अनुकरणीय रही है । शक्ति सबके साथ है, शस्त्र के रूप में भी और शास्त्र के रूप में भी। मन बुद्धि आत्मा में भी और अहंकार, क्रोध में भी। इसी प्रकार शक्ति सृजन कर्ता भी है और विध्वंश कर्ता भी। शक्ति का प्रयोग पवित्रता, सत्यता और सम्मान के लिए होना चाहिए।मुख्य वक्ता डॉ गीता खन्ना बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भारतीय वीरांगना रानी दुर्गावती एवं देवी अहिल्याबाई होलकर के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि दुर्गावती अपने राज्य के प्रति त्याग और बलिदान के लिए प्रसिद्ध हैं। अपने राज्य की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। अपने पति की मृत्यु के बाद न सिर्फ वह गोंडवाना जिले की शासक बनी बल्कि 15 वर्षो आदर्श शासन प्रदान किया।
रानी दुर्गावती के शासन को गोंडवाना का स्वर्णिम काल भी कहा जाता है। डॉ गीता खन्ना ने कहा अहिल्याबाई का मानना था कि धन, प्रजा व ईश्वर की दी हुई वह धरोहर स्वरूप निधि है, जिसकी मैं मालिक नहीं बल्कि उसके प्रजाहित में उपयोग की जिम्मेदार संरक्षक हूँ ।उत्तराधिकारी न होने की स्थिति में अहिल्याबाई ने प्रजा को दत्तक लेने का व स्वाभिमान पूर्वक जीने का अधिकार दिया। प्रजा के सुख-दुख की जानकारी व स्वयं प्रत्यक्ष रूप प्रजा से मिलकर लेतीं तथा न्याय-पूर्वक निर्णय देती थीं। उनके राज्य में जाति भेद को कोई मान्यता नहीं थी व सारी प्रजा समान रूप से आदर की हकदार थी।
इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद की विभिन्न दायित्ववान मातृशक्ति , माला एवं अन्य माता – बहनें उपस्थित रही।