सिरमौर न्यूज़/शिमला
डॉ बिंदल की वापसी तय है। प्रदेश भाजपा अब विपक्ष को करारा जवाब देने के लिए तैयार है। हालांकि पार्टी में अभी यह तय नहीं हो सका है कि डॉ. बिंदल अपनी भूमिका मंत्री या प्रदेशाध्यक्ष के रूप में निभाएगे।
पुख्ता पार्टी सूत्रों का कहना है कि सरकार को अब यह तय करना है कि डॉ. बिंदल को कैसे मंत्री मण्डल में स्थान दिया जा सकता है। उनको कौन सा कार्यभार सौपे, जिससे पार्टी की खिचखिच से बचा जा सके।
जाहिर है कि डॉ. बिंदल की भी इच्छा मंत्रिमंडल में शामिल होना है। उनके भी यह अरमान केन्द्रीय भाजपा से मिली क्लीन चिट बाद जगे हैं। केन्द्र से इशारा यह भी हैं कि बिंदल की वापसी किसी अच्छे ओहदे पर हो।
बताया जा रहा है कि जितनी जल्दी डॉ. बिंदल को प्रदेश अध्य्क्ष पद छोड़ना पड़ा, उतनी ही जल्दी अब अच्छे ओहदे पर वापसी के निर्देश हैं। इन सब के पीछे केन्द्रीय राजनीति का इशारा हैं। हालांकि इस के पीछे का मुख्य कारण विपक्ष द्वारा लगातार हमलावर होना है। स्वास्थ्य विभाग में पेश आये वायरल ऑडियो मामले बाद एकाएक बिंदल के इस्तीफे ने भाजपा को बैकफुट पर ला खड़ा किया।
जिसके मद्यनज़र विपक्ष अब मुख्यमंत्री के इस्तीफे पर अड़ा हुआ है। क्योंकि स्वास्थ्य महकमा खुद मुख्यमंत्री के पास है। ऐसे में पार्टी के पास सिर्फ एक रास्ता है कि बिंदल को क्लीनचिट दे तथा वापसी कराकर विपक्ष को जवाब दें।
बता दें कि अब ऐसे हालात में प्रदेश सरकार के पास पहली चुनौती तो उन्हें मंत्री बनाना है। क्योंकि पार्टी के अंदर ही एक गुट यह सब नही चाहता है। बिंदल के मंत्री बनने से कई नेता अपने को बोना समझने लगेंगे, जो अभी मुख्यमंत्री के खासे करीबियों में शामिल हैं। वही, कांगड़ा, हमीरपुर से उनके हितशत्रु अपनी पॉलिटिकल गेम को पस्त होते देख उन्हें मंत्री पद पर जल्दी बर्दास्त नही करेंगे।
वही, प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर भी सरकार किसी अपने विश्वासपात्र को बिठाना चाहेगी। इसके लिए भी यह दूसरा गुट अब फिर से बाजी लगाए हुए है। ऐसी स्थिति में बिंदल को फिर से प्रदेशाध्यक्ष पद पर बैठाने की भी नोबत आ सकती हैं।
फिलहाल डॉ बिंदल के खिलाफ हुई कार्यवाही से विरोधियों के हाथ कुछ नहीं लगा हैं। अब एक बार फिर से पत्ते उल्टे पड़ने का शोर भी मच गया है। अब दिल्ली दरबार से आ रही खबरें हिमाचल के इस गुट को झटका देने वालीं हैं। बिंदल के पास अब वापसी कर अपना विराट रूप दिखाने का मौका है।