बहुप्रतिभा के धनि है राजगढ़ ने महेंद्र हाब्बी, 29 की उम्र में ही चमकाया नाम

Himachal Pradesh राजगढ़

पवन तोमर / राजगढ़

जिला सिरमौर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है , हर क्षेत्र में सिरमौरी लोग अपनी ख़ास पहचान बना चुके है। एक से एक कलाकार सिरमौर की धरा से उत्पन्न हुए है जिन्होंने अपने जिला का नाम रोशन किया है । गायकी से लेकर मंच संचालन में सिरमौर से एक से एक कलाकार अपनी पहचान बना चुके है
राजगढ़ क्षेत्र से एक नाम अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुआ है जिनका नाम है ‘महेंद्र हाब्बी’। महेंद्र ने अपनी मंच संचालन योग्यता का प्रदर्शन 15 वर्ष की उम्र में क्रिकेट काॅमेंट्री से आरंभ किया था जो धीरे धीरे उन्हें बड़े मंच की ओर ले गया और आज महेंद्र हाब्बी एक मंजे हुए मंच संचालक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं। मंच संचालन एक ऐसी विधा है जिसे निभाना हर किसी के बस की बात नहीं होती। मंच संचालक के पास शब्दों का भंडार और सामयिक संदर्भों का अभ्यास होना सबसे पहली विशेषता होती है। यही कारण है कि मंच संचालको की भी अलग से एक वरिष्ठता सूची बनी होती है जिसके आधार पर इनकी सेवाएं ली जाती हैं। इन्होंने अपनी मंच संचालन कला का प्रथम प्रदर्शन, प्रदेश के बाहर एनजेडसीसी की ओर से उत्तराखंड के अल्मोड़ा में किया था जिसके बाद ये कई स्तरीय मंचों पर अपनी मंच संचालन श्रेष्ठता सिद्ध कर चुके हैं। 29 वर्षीय हाब्बी को इसी विशेषता के चलते दो वर्षाें से राजगढ़ के बैसाखी मेले में मंच संचालन की जिम्मेवारी सोंपी जा रही है जिसे ये बखूबी निभाते आ रहे हैं। महेंद्र हाब्बी मात्र मंच संचालक ही नहीं बल्कि अन्य कलाओं में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। ये जहां स्तरीय कामेंटेेटर और मंच संचालक हैं वहीं गीतकार, कवि, कोरियो ग्राफर, नर्तक, कामेडियन, लेखक और अच्छे गायक भी हैं। यही कारण है कि महेंद्र हाब्बी ने चरखा एलबम के दो गीतों में आवाज दी है, देवेंद्र ठाकुर की ‘‘लागी रिमझिम बरखा’’ एलबम के तीन गीतों में तथा चंद्रमोहन ठाकुर की एलबम ‘‘ नोखरा तेरा’’ के सभी गीतों में अभिनय कर चुके हंै। इसके अलावा इन्होंने ‘‘चेष्टा लोक नृत्यकला मंच’’ का गठन भी किया है जिसके माध्यम से इनकी एक अलग ही पहचान बन गई है जिसके चलते, दस वर्षाें के अंतराल में इनका कला–जत्था 22 राज्यों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुका है। इसी निपुणता के चलते इनके कई गीत यूट्यूब पर भी अपनी धाक जमाए हुए हैं। इसी कड़ी में इनका अगला गीत ठोडा के मशहूर खिलाड़ी स्व0 दीपराम पर स्वरचित नाटी ‘‘ हाय ठाकरा दीपरामा, तोंई दुनिये खे आए’’ जल्दी ही यूट्यूब पर आने वाली है।

महेंद्र हाब्बी इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सबसे अधिक श्रेय अपने पिता ओमसिंह हाब्बी श्लेच को देते हैं। इनके अलावा कलाकार ठाकुर चंद्रमोहन को भी श्रेय देते हैं जिनके कला मंच के माध्यम से चार वर्षों तक अपनी कला को संवारने का मौका मिला। इसी के साथ वे अपने अध्यापक एवं कवि प्रेमपाल आर्य के सहयोग को भी नहीं भूलते जो उन्हें लेखनकला की बारीकियों से अवगत करवाते रहते हैं।