विद्युत विभाग से सेवानिवृत हुए लेकिन वो कैंसर से पीड़ित थे, पीजीआई चंडीगढ़ से इलाज चल रहा था। जिस वार्ड में इलाज चल रहा था वहां आसपास के बेड पर अन्य मरीज भी थे। खाने पीने की जो भी चीज आती वो उसे अन्य मरीजों में भी बंटवाते। इलाज के दौरान लम्बे अरसे तक यह सब चलता रहा लेकिन कैंसर के उस मरीज का जीवन नहीं बच पाया और स्वर्गवास हो गया लेकिन जाते जाते वे अपने बेटे के जीवन में वो छाप छोड़ गए जिसने अब तक 8 बुजुर्गों को वृद्धाश्रम तक पहुँचाने और 37 बेसहारा लोगो को “अपना घर आश्रम” तक पहुँचाने का सौभाग्य दिया और जनसेवा की अलख जगाई।
एक ऐसा व्यक्तित्व जो अपने पिता की निरंतर सेवा करते करते समजसेवा के कार्यों से जुड़ गया और अब तमन्ना है जिला सिरमौर में बेसहारा बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम खोलने की। इस समाजसेवक का नाम पवन बोहरा है, जिनका जन्म 27 जुलाई 1974 को शिलाई में हुआ। दरसल पवन बोहरा के पिता मन बहादुर नाहन के निवासी थे जो विद्युत विभाग में कार्यरत होने के चलते शिलाई में रहे। पवन बोहरा की माता का नाम उमा देवी है जिनका देहांत हो चूका है। पवन प्राथमिक शिक्षा शिलाई से करने के बाद अपने पिता के साथ नाहन चले गए और यहाँ राजकीय शमशेर सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 8वी तक की पढाई पूरी की। पिता का स्थानांतरण राजधानी शिमला के लिए हुआ तो पवन की आगामी पढाई बालूगंज स्कूल में हुई , शिमला से ही इन्होने ग्रेजुएशन की। पवन बोहरा की एक बहन और अन्य तीन भाई भी है। वर्ष 2000 में पवन परिणय सूत्र में बंध गए और इनका विवाह प्रेमा बोहरा के साथ हुआ। बेटा तोषित बोहरा और बेटी अनुष्का बोहरा ने इनके घर में जन्म लिया जो इन दिनों उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे है।
पवन बोहरा गत 16 वर्षो से मार्केटिंग से जुड़े है और बड़े ब्रांड के उत्पादों की मार्केटिंग करते है। वर्ष 2016 से उन्होंने बेसहारा और बुजुर्ग लोगो की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाये। क्यूंकि अपने पिता के अंतिम दिनों में उन्हें प्रेरणा मिल चुकी थी की अब उन्हें जीवन में बुजुर्ग और बेसहारा लोगो की मदद के लिए तन मन धन से काम करना है। इसलिए पवन बोहरा मार्केटिंग के लिए जिस भो रुट पर जाते वहां सड़क किनारे घूमने वाले बेसहारा लोगो और मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो की मदद के लिए जरूर रुकते। समय के साथ साथ सेवा भाव और ज्यादा बढ़ता रहा और उन्होंने “मानव कल्याण सेवा समिति” और “अपना घर आश्रम” से संपर्क साधा। जो भी जरूरतमंद /बेसहारा नज़र आता उसे प्रशासन के संज्ञान में लाकर सुरक्षित जगह पहुंचा देते।
पवन बोहरा ने पांवटा साहिब में लावारिश लाशो के अंतिम संस्कार में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। असहाय लोगो की सहायता के लिए “सहायता संकल्प सोसाइटी” के माध्यम से पवन बोहरा न केवल जरुरतमंदो की सेवा करते है बल्कि लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने में भी योगदान दे रहे है। पांवटा साहिब में कई लावारिस लाशो का अंतिम संस्कार करवा चुके है। पवन बोहरा का कहना है की जब तक मनुष्य जीवित है और उसकी सेवा करने में जो आनंद मिलता है उससे उन्हें लगता है की वो अपने पिता की ही सेवा कर रहे है। उनका सपना है की पांवटा साहिब या सिरमौर में वो एक वृद्धाश्रम शुरू करें ताकि यहाँ पर उन बेसहारा बुजुर्गों को आसरा मिले जिनका कोई भी सहारा नहीं है। हालाँकि पवन बोहरा को मीडिया की सुर्ख़ियों में रहने का शोंक नहीं है इसलिए अपने कर्म पर ही ज्यादा ध्यान देते है वे अब तक बड़ी संख्या में बेसहारा लोगो का सहारा बनने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके है।
सिरमौर न्यूज़ से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की ” मैं अपने पिता के साथ अंतिम दिनों में पीजीआई में रहा । वो कैंसर से लड़ते रहे लेकिन इस दौरान भी वे अपने आसपास के मरीजों के साथ खाने -पीने की सभी चीजे सांझा करते रहते और सबका हाल पूछते रहते, पिता की सेवा करते करते मुझे अन्य मरीजों की देखरेख का भी अवसर मिला और तब से मेरे मन में जन सेवा की भावना उत्पान हुई और अब बुजुर्गो के लिए ओल्डएज होम खोलना एक सपने के रूप में देख रहा हूँ जो आने वाले समय में जरूर साकार होगा “