सिरमौर न्यूज़ / शिमला
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्राें के प्रतिनिधित्व का पूरा जिम्मा अब युवाओं व महिलाओं के कंधाें पर है। पंचायत निकाय चुनावाें में महिलाओं व युवाओं ने इस बार अपना लोहा मनवाया हैं।
जिसकी बदौलत पंचायत प्रतिनिधि के रूप में 52.8 फीसदी महिलायें व 72 फीसदी युवा जीतकर सेवाएं देगें। हैरानी की बात यह है कि इस बार 51 साल से अधिक उम्र के मात्र 9 फीसदी लोग ही शामिल हैं।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में अभी तक पंचायत निकायों पर दिग्गज नेता या बुजुर्ग ही सत्तासीन हो रहे थे। लेकिन इस बार के चुनावों में इनका पूरी तरह कायाकल्प हो गया है।
प्रदेश भर में हुए पंचायत निकाय चुनावाें में 92 % ऐसे लोग चुनकर आए हैं जाे 50 साल से कम हैं। यू भी कह सकते हैं कि अब कमान युवाओं के हाथों में है।
हाल ही में हुए पंचायत निकाय चुनाव में जीतकर आए चेहराें की उम्र पर गाैर करें ताे इस बार 20 से 40 साल की उम्र के ही 72 फीसदी युवा पंचायतों में जीते हैं। वहीं 40 से 50 साल की उम्र के 19 फीसदी युवा जीतकर आए हैं।
51 साल से ज्यादा उम्र के मात्र 9 फीसदी लोग ही जीतकर पंचायत निकायों में शामिल हो सके हैं। इतना ही नहीं, प्रदेश के ग्रामीण विकास के ढांचे काे संभालने के लिए महिलाएं पुरुषाें से ज्यादा जीतकर आई हैं।
इस बार के पंचायत निकाय चुनावाें में 52.8 फीसदी महिलाओं के पास अगले 5 साल तक पंचायती राज सिस्टम काे मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली है। इस चुनाव में 13621 महिला प्रत्याशी जीत कर आई है, जबकि 12160 पुरुष ही चुनाव जीत पाए हैं।
बता दें कि इन चुनाव के नतीजाें के बाद चुनाव आयाेग के पास पहुंचे डाटा से प्रदेश के पंचायती राज सिस्टम में युवाओं के इस मजबूत दखल की तस्वीर सामने आई है।
गांवाें में शिक्षा के विस्तार का असर…
पंचायत चुनाव में युवाओं का अधिक संख्या में जीतकर आना गांव में शिक्षा के विस्तार का असर है। गांव की पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी गांव के विकास के लिए ऐसे ही पढ़े लिखे युवाओ काे आगे लाई है, जाे उनके क्षेत्र का विकास कर सके उनकी बात काे आगे सही ढंग से रख सके।
खास बात यह भी है कि प्रदेश का दूर दराज जिला लाहाैल स्पीति में ताे 13 में से 11 पंचायताें काे निर्विराेध चुना गया है और हर पंचायत में कम से कम दसवीं पास व्यक्ति काे प्रधान चुना गया है।
उम्रदराज ने भी युवाओं काे ही चुना…
दीगर हो कि इस बार के पंचायत चुनाव का ट्रेंड पूरी तरह से बदला है। गांव के उम्रदराज लाेगाें ने भी युवाओं पर भराेसा जताते हुए गांव की कमान उनके हाथाें साैंपकर एक समझदारी का परिचय दिया है। चुनाव में 60 से अधिक आयु वर्ग के महज दाे प्रतिशत उम्मीदवार ही चुनाव में खड़ें थे और उनमें से भी 1.40 प्रतिशत उम्मीदवार ही चुनाव जीतकर आगे आए है।
इससे साफ है कि लाेग अब बदलाव चाहते है और युवाओं के हाथाें में देश की कमान साैंपना चाहते है। एक्सपर्ट भी यहीं मानते है कि युवा नई साेच, नई ऊर्जा के साथ बेहतर काम कर सकते है।