सिरमौर न्यूज/ शिलाई
छत्रधारी चालदा महासू देवता के अगले साल हिमाचल प्रदेश के शिलाई-सिरमौर प्रवास के दौरान नया इतिहास बनेगा। टौंस नदी पार कर सिरमौर जिले में पहली बार देवता प्रवास पर जाएंगे। यह निर्णय 11 खतों की महापंचायत में लिया गया। इस निर्णय से टौंस के दूसरे छोर बसे लोगों में भी खुशी की लहर है। चालदा महासू देवता का प्रवास 12 साल शाठी बिल और 12 साल पाशी बिल में रहता है। देवता का जौनसार बावर में पहला पड़ाव प्रवास कोटी बावर, दूसरा पड़ाव मुन्धौल देवघार खत, तीसरा पड़ाव थगाड देवघार बारबीशिया, चौथा पड़ाव जागोग, पांचवा पड़ाव थरोच, छठा पड़ाव कोटी कनासर, सातवां पड़ाव मोहना, आठवा पड़ाव समाल्टा, नौवां पड़ाव दसऊ, दसवां पड़ाव मश, ग्यारहवां पड़ाव किस्तूड़, बारहवां छजाड़, तेरहवां पड़ाव रडू के बाद वापस कोटी बावर मंदिर में आते हैं। यहां से पाशी बिल पड़ाव शुरू होता है।
बता दे कि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में शिलाई पश्मी गांव के लोग कई वर्षों से छत्रधारी चालदा महासूदेवता की पालकी पूजन प्रवास के लिए अपने गांव ले जाने का प्रयास कर रहे थे। अभी तक सिरमौर जिले में देवता की पालकी नहीं गई। इसके चलते देवता के बजीर दीवान सिंह राणा निर्णय नहीं ले पा रहे थे। रविवार को शाठी बिल का मुख्य थान मंदिर कोटी बावर में 11 खतों की महापंचायत में पश्मी गांव में देव पालकी जाने की निर्णय सर्वसम्मति से हुआ। पश्मी गांव के बजीर दिनेश ने पूरी शाठी बिल और 11 खतों का आभार जताया।