सिरमौर न्यूज़ डेस्क
सिंघु बार्डर पर चल रही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। बैठक समाप्त होने के बाद किसान नेता बलबीर राजेवाल मीडिया से मुखातिब हुए। राजेवल ने बताया कि संसद में कानून रद होने तक आंदोलन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम तय समय पर होंगे।
बलबीर राजेवल ने कहा कि 27 नवंबर को मोर्चा की फिर से बैठक होनी निश्चित हुई है। उन्होंने कहा कि मोर्चा की बैठक में एमएसपी समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में फैसला लिया गया है कि मोर्चा लंबित मांगों को लेकर पीएम मोदी को ओपन लेटर लिखेगा। पत्र में एमएसपी समिति, विद्युत विधेयक 2020, किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी और लखमीपुर खीरी को लेकर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने जैसी प्रमुख मांगें शामिल होगी।
राजेवल ने बताया कि तीनों कृषि कानून वापस लेने को लेकर पीएम मोदी की घोषणा का मोर्चा ने स्वागत किया है। मोर्चा के नेताओं ने फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम मोदी का यह अच्छा कदम है लेकिन किसानों की कई अन्य लंबित मांगों को भी पूरा करना होगा।
बताते चलें कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में 42 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। बैठक में राकेश टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत सभी जत्थेबंदियों के नेता भाग लिया।
बैठक का सबसे अहम फैसला यह रहा कि कृषि सुधार कानून वापस लिए जाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बावजूद किसान संगठन प्रदर्शन जारी रखेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय समन्वय समिति शनिवार की बैठक में पहले ही निर्णय ले चुकी है कि आंदोलन के लिए पूर्व में जो कार्यक्रम निर्धारित किए गए थे, वे जारी रहेंगे। कार्यक्रमों की फेहरिस्त में 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत, 26 नवंबर को आंदोलन के एक साल पूरे होने पर सभी मोर्चो पर भीड़ बढ़ाई जाएगी और संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर 29 नवंबर को संसद कूच किया जाएगा शामिल है।
प्रधानमंत्री को लिखे जाने वाले खुले पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा एमएसपी के लिए वैधानिक गारंटी देने, विद्युत संशोधन विधेयक को पूरी तरह वापस लेने की मांग, दिल्ली में वायु गुणवत्ता विनियमन पर कानून से संबंधित दंडात्मक धाराओं से किसानों को बाहर रखने, आंदोलन में जान गंवाने वालों के परिवारों को मुआवजा और रोजगार के अवसर प्रदान करने, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे बिना शर्त वापस लेने की मांगें रखी जाएगी।