क्रशर संचालकों और अधिकारीयों की छवि धूमिल करने की साजिश

Himachal Pradesh

SIRMOUR NEWS-

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्टोन क्रशर से जुड़े संचालकों और खनन विभाग के अधिकारीयों की छवि को धूमिल करने वाले यूजर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी है। इस सन्दर्भ में पुलिस को एक शिकायत पहले ही की जा चुकी है। The Sirmour Stone Crusher Welfare Association के अध्यक्ष मदन मोहन शर्मा ने बताया की शरारती तत्वों द्वारा स्टोन क्रशर से जुड़े संचालकों और खनन विभाग के अधिकारीयों की छवि को धूमिल करने की मंशा से वीडियो पोस्ट की जा रही है। जनवरी के पहले सप्ताह में पहली पोस्ट के सन्दर्भ में पुलिस को शिकायत की जा चुकी है। आज फिर से एक और पोस्ट सोशल मीडिया पर अन्य अकाउंट से डाली गयी है जिसमे अन्य स्थानों के वीडियो जोड़कर सिरमौर में चल रहे लीगल माइनिंग को इल्लीगल साबित करने की शरारत की गयी है। साथ ही खनन विभाग के अधिकारीयों के खिलाफ निराधार बातें कही गयी है। सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट डालने वाले की मंशा क्या है ये तभी पता लग सकता है जब पुलिस की IT टीम इन सोशल मीडिया यूजर तक पहुँच पाएगी। जिसके लिए पुलिस प्रशासन से सहयोग की मांग की गयी है की वे ऐसे शरारती तत्वों को जल्द से जल्द बेनकाब करें ताकि खनन व्यवसाय पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
Association के अध्यक्ष मदन मोहन शर्मा ने बताया की पांवटा साहिब क्षेत्र में स्टोन क्रशर के लिए जो खनन किया जा रहा है पूर्ण रूप से लीगल है , सरकार को करोडो का राजस्व के साथ साथ DMFT , रॉयलिटी पर 18 % GST , पंचायत टेक्स ,फिनिशिंग गुड्स पर GST , प्रदेश सरकार को CGCR सहित आयकर विभाग को TCS और स्थानीय प्रसाशन के साथ CSR एक्टिविटी के लिए आर्थिक सहयोग किया जाता है।
X फोरम के माध्यम से प्रति ट्रक राजस्व सरकार को जाता है , पट्टा धारक एडवांस के रॉयलिटी जमा करवाते है और जमा की गयी रॉयलिटी समाप्त होते ही साथ के साथ फिर से रॉयलिटी जमा करवाते है, क्रशिंग मशीनों से जितना माल गुजरता है उसके अनुसार जो बिजली के बिल आते है उसके अनुसार रॉयलिटी व् अन्य राजस्व की दरें हर महीने निर्धारित की जाती है। हज़ारों लोगो का रोजगार खनन व्यवसाय से जुड़ा है। बावजूद इसके एक आध ऐसे लोगो द्वारा स्टोन क्रशर से जुड़े संचालकों और अधियकारियों की छवि को धूमिल किया जा रहा है जो अपनी पहचान छुपा कर सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे है। बार – बार सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारीयों की छवि खराब करने व वैध खनन व्यवसाय को अवैध करार देने वाले शरारती तत्वों तक पुलिस पहुंचे और उनकी पहचान सार्वजानिक करें।